Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कविता

सम्मानित मंच नमन।
विधा -श्रृंगार गीत।
 दिनांक- 03/11/2022.
 
सुसज्जित दीप हाथों में,
धरा  पर  अप्सरा  आई।
विभूषित अंग  भूषण से,
लखो रति रूप  है पाई।।
        रही  तक  राह  प्रीतम   की,
        वेदना    मन    भरी   भारी।
        मनाए   ईश   मन   ही  मन,
        विरह  मन  में  दिखे  प्यारी।
        छिपा  कर दुख भरा आलम,
        विहँसती   द्वार   तक  आई।
        सुसज्जित दीप हाथों में......
चकित चित‌ए चहूँ दिशि वह,
नहीं      आधार    है    कोई।
बहाती   अश्रु    नयनों     से,
स्वामिनी  लख   अली   रोई।
प्रभो  अब  खो  गई  हिम्मत,
घड़ी  सुन   मौत   की  आई।
सुसज्जित दीप.........
        ‌  कामना    पूर्ण   कर  दे  तू,
          खड़ी   हूँ    द्वार    मैं   तेरे।
          रहम  कर दे खुदा मुझ पर,
          मिटा   दे   कष्ट   तुम   मेरे।
          मिला  दे प्रभु  तु  प्रीतम से,
           विरहनी  द्वार   पर   आई।
सुसज्जित  दीप  हाथों  में,
धरा   पर   अप्सरा   आई।
विभूषित  अंग   भूषण  से,
लखो  रति  रूप  है  पाई।।
          ✍️हरिहर 'सुमन'

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर 

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7 Comments

Palak chopra

06-Nov-2022 01:18 AM

Shandar 🌸🙏

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Teena yadav

04-Nov-2022 08:18 PM

OSm

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Haaya meer

04-Nov-2022 08:04 PM

Amazing

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